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Monday, December 19, 2011

जयललिता-शशिकला नटराजन// Ajab Prem ki gajab kahani


तमिलनाडु की राजनीती में "पुराची तलेवी" यानी क्रांतिकारी नेता कही जाने वाली जयललिता को अपने "तख्ता पटल" का खतरा नज़र आ रहा था , क्या जयललिता को अपने ही किसी "ख़ास" से उनके खिलाफ बगावत की "बू" आ रही थी और क्या उनके ही पोएस गार्डन वाले घर में रहकर कोई उनके ही खिलाफ राजनितिक षड्यंत्र रच रहा था...तमिलनाडु की राजनीती पर पैनी निगाह रखने वालो की माने तो अपनी ख़ास दोस्त शशिकला नटराजन को पार्टी से निकले जाने के फेसले के पीछे जयललिता के दिलो दिमाग में कुछ एसा ही चल रहा था..
सोमवार(19 Dec 2011) को तमिलनाडु की जनता ने जब ऐ आई डी एम् के पार्टी की महासचिव और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने अपनी सबसे पुरानी सहेली शशिकला नटराजन को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बाहर का रास्ता दिखाने एलान किया तब किसी को भी इस खबर पर हेरानी नहीं हुवी क्यों की साल 1996 में चुनावो से ठीक पहले भी वह एसा ही कर चुकी थी लेकिन इस खबर के सामने आने के ठीक एक घंटे बाद खुद जयललिता द्वारा जारी किये गए एक बयान ने सबको जरुर चौंका दिया.. इस बयान में न केवल उन्होंने इस खबर की पुष्ठी की थी बल्कि अपनी पार्टी के क्रयाक्रताओ से शशिकला या उनके साथ निष्कासित किये गए शशिकला नटराजन के परिवार के 11 सदस्यों के साथ किसी तरह का संपर्क नहीं रखने का भी फरमान जारी कर दिया था.. साफ़ था की मामला काफी गंभीर था लेकिन एसा क्या हो गया की दोनों के रास्ते अलग हो गए ..
.तमिलनाडु की राजनीती में "चिन्नाअम्मा"यानी की छोटी माँ (जयललिता को सभी "अम्मा" के नाम से पुकारते हैं) के नाम से जानी जाने वाली शशिकला नटराजन को कल तक ऐ आई ऐ डी एम् के सुप्रीमो जयललिता के हर राज का भागिदार माना जाता था..यहाँ तक की कयास लगाये जाने लगे थे की शायद जयललिता अपने बाद शशिकला या उनके परिवार के किसी सदस्य को ही राजनीती की अपनी उत्तराधिकारी बना सकती हैं.. ऐसे में अचानक शशिकला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिए जाने को काफी गंभीर मामला माना जा रहा है.. हालाँकि सुगबुगाहट तो यह है की इस साल मई में जयललिता की सत्ता में जोरदार वापसी के बाद से ही शशिकला और उनके परिवार के सदस्य सरकार के कामकाज में जरुरत से ज्यादा हस्तक्षेप करने लग गए थे.. यहाँ तक की मंत्रियो और आई ऐ एस और आई पी एस अधिकारियो को भी इन्होने इस कदर खडका कर रखा था की जयललिता से पहले ये लोग शशिकला के पास दुवा सलाम के लिए जाने लगे..मंत्री और अधिकारी अपनी समस्या जयललिता के पास रखने की बजे शशिकला के मर्फात काम निकलवाने की कोशिश करने लगे.. यानी की कहा जा रहा है की जयललिता के साथ रहने के बावजूद भी उनकी दोस्त शशिकला एक मायने में सामानांतर सरकार चलने जैसा काम करने लग गयी थी..अपने जिलो के विधायको के साथ शशिकला की नजदीकी भी जयलालितः को नहीं भा रही थी और उसमे उन्हें किसी साजिश का अंश दिखाई दिया.. अपने विश्वस्त अधिकारियो और मंत्रियो से जयललिता को इस तरह के संकेत भी मिलने लगे थे की इस तरह का कदम पर लगाम नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में शायद शशिकला का यह कदम उनके तख्तापटल का नतीजा तक साबित हो सकता है..यही कारण था की अपने खिलाफ्बगावत की "बू" आने के साथ ही उन्होंने इस तरह का कदम उठाया हो...

कौन है शशिकला

शशिकला नटराजन के पति एम नटराजन सरकारी सेवा में थें. उन्हें एम् जी रामचंद्रन के शाशन काम में जन संपर्क अधिकारी के टूर पर नियुक्त किया गया था.. ..1980 में नटराजन एम् जी आर की नजदीक माने जाने वाली जयललिता के संपर्क में आयें और उनके मेनेजर के रुप में काम करने लगें। कहा जाता है की शशिकला भी उसी दरम्यान जयललिता के नजदीक आई , वही से शुरु हुई दोनो की दोस्ती .. वैसे यह भी सच है की जयललिता के अपनी जुन्दगी में आते ही शशिकला की जिंदगी से उसके पति नटराजन दूर होते चले गए..इतने दूर की न केवल उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा बल्कि साल 1990 आते-आते दोनो पति पत्नी एक दुसरे से अलग हो गयें। दुसरे शब्दों में कहे तो आलम यह हो गया की शशिकला ने भी अपने पति के रिश्ते से ज्यादा महत्व अपनी जयललिता से दोस्ती को ही दिया.. जयललिता ने शशिकला के बेटे को अपने बेटे की तरह माना । शशिकला और जयललिता दोनो एक दुजे के लिये समर्पित हो गयें। 1996 के चुनाव के दरम्यान जयललिता की करारी हार के बाद दोनो के रिश्ते में कुछ खटास भी आई लेकिन साल 2001 में जयललिता की सता में वापसी ने सारे गिले-शिकवे दुर कर दियें। लोग तो यहाँ तक कहने लगे की शशिकला किसी समर्पित पत्नी की तरह जयललिता का ख्याल रखती हैं। उनके खान-पान से लेकर , घर गृहस्थी तक की सारी जिम्मेवारी निभाती वैसे शुरुवाती दिनों में शशिकला चेन्नई में अपना एक विडियो पार्लर भी चलती थी और फिल्मो की शौकीन जयललिता उनसे नयी पुरानी फिल्मे मंगाने लगी और इस तरह दोनों के बीच दोस्ताना सम्बन्ध भी बढ़ने लगा. आई ऐ एस अधिकारी चंद्रलेखा ने ही शशिकला को पहली बार जयललिता से मिलवाया था... जयललिता से नजदीकी के बाद इन्होने जे जे टी वी नाम से नया सेटेलाईट चेनल भी शुरू किया था लेकिन विदेशी मुद्रा विनिमय कानून के उल्लंघन के चलते इसे बंद करना पड़ा.. दोनों के बीच दोस्ती किस कदर गहरी थी इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है शशिकला के भतीजे सुधाकरण को जयललिता ने गोद लेकर उसकी धूम धाम से शादी करवाई.. शादी भी ऐसी आलिशान और चकाचौंध कर देने वाली की तमिलनाडु के इतिहास में अब तक उसे याद किया जाता है.... 1991 से 1996 में जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं तब शशिकला उनके काफी नजदीक पहुँच चुकी थी.. आलम यह था की दोनों साथ ही एक जैसे साड़ी पहनकर घर से निकला करते थे. इसके बाद जब करूणानिधि की सरकार आई तो साल 1997 में जयललिता के साथ साथ उनकी दोस्त शशिकला को भी तांसी जमीन घोटाला और आय से अधिक संपत्ति के मामले सहित कई भष्ट्राचार के मामलो में आरोपी बनाया गया.. जयललिता जेल गयी लेकिन तब भी शशिकला ने उनका साथ नहीं छोड़ा.. कहा जाता है की दुःख के उन दिनों में शशिकला ही ऐसी थी जिसके साथ जयललिता ने अपने सारे दुःख बटकर दिल के गम को हल्का किया.. यानी की इन दोनों के बीच एक अनाम रिश्ता था और ऐसी प्रेम कहानी भी छुपी हुवी थी जिसमे दोनों एक दुसरे के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करते को तेयार रहते .. एक क्रायक्रम में तो एक बार दोनों ने बाकायदा पुरे मंत्रोचारण के साथ एक दुसरे के गले में माला भी डाली थी .दिन था जयललिता के 60 वे जन्म दिन का । 24 फरवरी साल 2008 को जयललिता का साठवां जन्मदिन था ..उस दिन जयललिता अपनी दोस्त शशिकला के साथ नागापटिनम्म जिले में स्थित अमर्तघाटेश्वर मंदिर पहुंची और वहा जन्म दिन के अवसर पर पुजा पाठ करने के उपरांत जयललिता ने शशिकला को और शशिकला ने जयललिता को माला पहनाया । इस मंदिर की खासियत यह है की यहाँ अपने जीवन के साठ एवं अस्सी वर्ष की आयु पुरी कर चुके लोग आते हैं तथा पुजा पाठ के बाद एक रस्म निभाई जाती है जिसे षष्ठीबापुर्थी कहते हैं। इस रस्म में पति-पत्नी एक दुसरे को माला पहनाते हैं तथा इसे सेकेंड मैरिज या पुन: विवाह के रुप में माना जाता है । अब जयललिता का और कोई तो है नहीं ऐसे में उन्होंने शशिकला को ही अपना सब कुछ मानते हुवे उनके गले में माला डाल दी.....हालाँकि शशिकला के साथ अपने इस " अनाम रिश्ते" के बारे में खुद जयललिता ने तो कुछ भी नहीं कहा लेकिन माला पहनाने वाली रस्म ने उनके दिल के दर्द को दर्शा दिया ।.. हालाँकि इसे बाद में पारिवारिक पूजा का नाम दे दिया गया.. फिलहाल जिन्होंने कभी एक दुसरे के सभी दुःख सुख में साथ निभाया और देश दुनिया की तमाम आलोचनाओ के बाद भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा उन्ही दो पुरानी सहेलियों के रास्ते अब अलग अलग हो गए.. हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और उनके हर राज के साथ साथ अब तक के हर दुःख सुख में शरीक रहने वाली शशिकला नटराजन की.. करीब तीन दशक से जयललिता के पोएस गार्डन की एक ही छत के नीचे रहने वाली इन दोनों दोस्तों के बीच मनमुटाव इतना बड़ा की दोनों के रास्ते अलग हो गए और जयललिता ने न केवल उन्हें अपने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया बल्कि उनसे किसी तरह का सम्बन्ध भी न रखने का एलान कर सबको चौका दिया.. श्रीवत्सन,

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