Search This Blog

Sunday, May 29, 2011

"बेल्लारी के बेताज बादशाह

 "बेल्लारी के बेताज बादशाह

"दक्षिण में पहली बार भाजपा का खिला हुआ कमल दो भाईयों की लालच, और सत्ता की प्यास की वजह से एक बार फिर खतरे में पड़ गया है। खतरा एसा की दो केन्द्रीय नेता भी रेड्डी बंधुओ को लेकर आपस में इस तरह उलझ गए हैं की बी जे पी की फजीहत हो रही है..  एसा पहली बार नहीं है की रेड्डी ब्रदर्स अचानक सुर्ख़ियों में आये हो इससे पहले भी करीब दो साल पहले इन दोनों भाईयो ने अपने धन बल की ताकत पर कर्नाटक में चल रही राजनैतिक उठापटक में "दक्षिण के मोदी" कहे जा रहे बीएस येद्दियुरप्पा की कुर्सी तक को डांवा डोल कर दिया था.. मुख्यमंत्री तक की कुर्सी को हिलाने की ताकत रखने वाले "बेल्लारी के बेताज बादशाहरेड्डी बन्धु ही थे जिन्हें उस वक्त तो किसी तरह शांत कर दिया गया लेकिन अब इनकी आड में अरुण जेटली और सुषमा स्वराज आपस में ही भीड  गए हैं..  कौन है रेड्डी ब्रदर्स चलिए हम आपको बताते हैं..

कर्नाटक सरकार में भूमिका

करुणाकरण रेड्डी सरकार में राजस्व मंत्री हैं, उनके छोटे भाई जनार्दन रेड्डी पर्यटन मंत्री हैं जबकि तीसरे भाई सोमशेखर रेड्डी भी विधायक हैं।  आंध्र प्रदेश से सटे बेल्लारी जिले में इनकी काफी तूती बोलती है और करीब 25 विधायक इनके साथ किसी भी वक्त अपना पाला बदलने को तेयार रहते हैं..  रेड्डी बन्धुओं की तरक्की का ग्राफ़ भी बेहद आश्चर्यचकित करने वाला है। 1999 तक उनकी कोई बड़ी औकात नहीं थी, तीनों भाई बेल्लारी में स्थानीय स्तर की राजनीति करते थे। उनकी किस्मत ने उस समय  पलटा खाया और सोनिया गाँधी ने इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया, सोनिया के विरोध में भाजपा ने सुषमा स्वराज को खड़ा किया और तभी से ये तीनो भाई सुषमा स्वराज के अनुकम्पा प्राप्त खासुलखास हो गये। उस लोकसभा चुनाव में इन्होंने सुषमा की तन-मन-धन सभी तरह से सेवा की, हालांकि सुषमा चुनाव हार गईं, लेकिन कांग्रेस की परम्परागत बेल्लारी सीट पर उन्होंने सोनिया को पसीना ला दिया था। तभी से ये सभी सुषमा स्वराज के चहेते बने हुवे हैं.. यही कारण है की  कर्नाटक सरकार के दो मंत्री जनार्दन रेड्डी और करुणाकरन रेड्डी इन दिनों अपने राज्य ही नहींराष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक सुर्खियों के केंद्र में बने हुए हैंकर्नाटक सरकार में मंत्री होने के साथ ही दोनों भाइयों की एक पहचान यह भी है कि वे कर्नाटक के सबसे ताकतवर खनिज माफियाओं में भी शुमार होते हैंदोनों भाई बेल्लारी से आते हैंजहां पिछले लोकसभा चुनाव में दबंग भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शिकस्त मिली थीतब से ही रेड्डी बंध्ुाओं को सुषमा स्वराज का नैतिक समर्थन हासिल है.

 

रेड्डी बंधुओ का व्यापार 

 

सुषमा स्वराज के नजदीकी के बाद रेड्डी बन्धुओं की पहुँच भाजपा के दिल्ली दरबार में हो गई, इन्होंने बेल्लारी में लौह अयस्क की खदान खरीदना और लीज़ पर लेना शुरु किया, एक बार फ़िर किस्मत ने इनका साथ दिया और चीन में ओलम्पिक की वजह से इस्पात और लौह अयस्क की माँग चीन में बढ़ गई और सन 2002-03 में लौह अयस्क के भाव 100 रुपये से 2000 रुपये पहुँच गये, रेड्डी बन्धुओं ने जमकर पैसा कूटा, तमाम वैध-अवैध उत्खनन करवाये और बेल्लारी में अपनी राजनैतिक पैठ बना ली।1998 में तो इनकी कंपनी को जबरदस्त घटा हुवा और इनके दिवालिये तक होने की नौबत गयी लेकिन साल 2008 के आते आते इन लोगो ने फिर से अपना 115 करोड रूपये का साम्रज्य खड़ा कर लिया..  अकेले इनके व्यापारिक कंपनियों का सालाना टर्न ओवर 2000 करोड रूपये हैं.. जो की आज भी लगातार बढ़ता ही जा रहा हैं.. कहा जाता है की इनका जो घर हैं उसमे ६० आलीशान कमरे हैं ये घर पूरे तरह बम धमाको को डसहकर भी सुरक्षित रहने की ताकत रक्त है.. साथ ही घर में ही रात को भी हेलिकोप्टर के उतरने  की पूरी व्यवस्था है जो की देश के कई हवाई अड्डो में आज तक नहीं है.. .. यही नहीं इन दोनों भाईयों के पास अपने खुद के 4 हलिकोप्टर हैं....और लक्जरी कारो की तो कोई गिनती ही नहीं है.. यही नहीं साल 2009 में इनके परिवार में हुवी एक शादी में इन्होने 20 करोड रूपये खर्च कर दिये इसमें 10 हजार से भी अधिक लोगो ने भाग लिया था और बाहर के 42 डिग्री ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए इन्होने मेहमानों के लिए 500 से भी ज्यादा .सी.. लगवाये गए थे..   यही नहीं इस आलीशान और यादगार शादी के ठीक एक महीने बाद गली जनार्दन रेड्डी ने तिरुपति बालाजी के मंदिर में जाकर उन्हें हीरे मोती जड 42 करोड रूपये का मुक्त भी चढ़कर सुर्खियाँ बटोरी थीं.. यही नहीं गल्ली जनार्दन रेड्डी तो अपने घर में करीब सवा दो करोड़ रूपये की लगत की सोने की कुर्सी पर बैठते हैं.. उनके घर में जो छोटे से मंदिर मैं जो भगवान की मूर्ती बनी हुवी है वह भी 2 करोड़ 58 लाख रूपये की है.. जानकर आश्चर्य होगा की ये महाशय जो बेल्ट पहनते हैं उसकी कीमत सवा तेरह लाख र्य्प्ये है.. जबकि घर में खाने पीने के दौरन ये जो पर्सनल थाली, का उपयोग करते हैं वह भी सोने की है.. इसके साथ रखे कटोरी, स्पून, चाक़ू चुरी की कीमत 20 लाख 87 हजार रूपये है.. कर्नाटक लोकायुक्त को दिए अपने हलफनामे मैं तो इन महाशय ने खुद ही स्वीकार किया है की इनके पास कुल 153.49 करोड़ रूपये की संपत्ति है..  हर महीने इनकी आय 31 करोड़ 54 लाख रूपये हैं.. वैसे इनकी शानो शौकत को बढने में बेल्लारी में ब्राहमी स्टील प्लांट की भी बड भूमिका है जिसकी कीमत 25 हजार करोड रूपये आंकी गयी है.. इनकी हर रोज की आय का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की एक तन खनिज पर ये लोग महज 27 रूपये ही सरकार को देते हैं जबकि इन्हें बाज़ार में  7000 की दर से बेचकर ये लोग हर रोज 20 करोड रूपये की कमाई करते हैं.. 

 

राजनितिक सफ / सुषमा से नजदीकी 

 

चूंकि सोनिया गाँधी ने चुनाव जितने के बाद भी बेल्लारी की सीट को  छोड़कर अमेठी की सीट रख ली तो रेड्डी बंधुओ ने स्थानीय मतदाताओ को सोनिया के खिलाफ इस मुद्दे की आड में बरगलाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड..  भले ही चुनावो में सुषमा स्वराज बेल्लारी से हार गयीं हो लेकिन अपनी दूर की राजनीती का परिचय देते हुवे इन्होने सुषमा स्वराज को बेल्लारी बुलाकर वहा लगातार अपने क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों में बुलाये रखा, पूजाएं करवाईं और उदघाटन करवाये, जनता को यह पसन्द आया। 2004 के लोकसभा चुनाव में सुषमा को तो इधर से लड़ना ही नहीं था, इसलिये स्वाभाविक रूप से बड़े रेड्डी को यहाँ से टिकट मिला .. आलम यह हो गया की इन दोनों की राजनीती इस कदर चली की  1952 के बाद पहली बार कांग्रेस  को यहाँ से इनके हाथो करारी शिकस्त का सामना करना पड... बस फिर क्या था इस जीत से उतसाहित आंध्रप्रदेश की सीमा से लगे बेल्लारी में इन बन्धुओं ने जमकर अपना पैर जमाना सुर रूपये बनाना शुरू किया.. इनका जादू इस वक्त तक इस कदर लोगो के दिलो दिमाग पर छा चूका था की 2002 में ही बेल्लारी नगरनिगम के चुनाव में भी कांग्रेस हारी और इनके चचेरे भाई वहाँ से मेयर बनेयानी की राजनीती में पकड़ इनकी और भी मजबूत हो गयी..

 

मुख्यमंत्री पद पर नज़र

 

अब भला राजनीती में इतना कुछ मिल गया और बी जे पी के केन्द्रीय नेताओ से भी नजदीकी बढ़ गयी तो भला रेड्डी बंधू कर्नाटक की सबसे बड सत्ता यानी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नज़र क्यों नहीं रखते...! राज्य के शक्तिशाली लिंगायत समुदाय के नेता येद्दियुरप्पा अपनी साफ़ छवि, कठोर निर्णय क्षमता और संघ के समर्थन के सहारे अपनी राजनैतिक ज़मीन पकड़ते जा रहे थे, अन्ततः कांग्रेस को हराकर भाजपा का कमल पहली बार राज्य में खिला। लेकिन सत्ता के मद में चूर खुद को किंगमेकर समझने का मुगालता पाले रेड्डी बन्धुओं की नज़र मुख्यमंत्री पद पर शुरु से रही। हालांकि येदियुरप्पा ने इन्हें महत्वपूर्ण विभाग सौंपे हैं, लेकिन लालच कभी खत्म नहीं हुवा..  इन्होंने अपने पैसों के बल पर 67 विधायकों को खरीदकर भाजपा नेतृत्व को आँखे दिखाना शुरु कर दिया है। कहा जाता है की उस समय इन सभी विधायको को 25 - 25 करोड रूपये इन्होने दिए थे.. कर्नाटक की राजनीती पर पैनी नज़र रखने वाले लोगो का यहाँ तक मानना है की यह बात भी सही है कि जद-यू, कुमारस्वामी और देवगौड़ा जैसों से पार पाने के लिये रेड्डी बन्धुओं की आर्थिक ताकत ही काम आई थी और इन्हीं के पैसों से 17 विधायक खरीदे गये थे, लेकिन येदियुरापा का जातीय समीकरण इनके सपनो पर भारी पड.. लेकिन इन्होने उन्हें दिए गए महत्वपूर्ण मंत्रालयों से भरपूर मलाई काटी है। कहने का मतलब ये कि येदियुरप्पा द्वारा सारी सुविधायें, अच्छे मंत्रालय और माल कमाने का अवसर दिये जाने के बावजूद ये सरकार गिराने पर तुले हुए हैं, येदियुरप्पा सरकार से नाराजगी के बढ़ने की वजह येदियुरप्पा का वह निर्णय भी रहा जिसमें लौह अयस्क से भरे प्रत्येक ट्रक पर 1000 रुपये की टोल टैक्स लगाने की योजना को उनके विरोध के बावजूद कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। यह निर्णय हाल की बाढ़ से निपटने और राहत कार्यों के लिये धन एकत्रित करने के लिये किया गया थाजबकि रेड्डी बन्धु अपनी खदानों के लिये और अधिक कर छूट और रियायतें चाहते थे। साथ ही येदियुरप्पा ने बेल्लारी के कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक का तबादला इन बन्धुओं से पूछे बगैर कर दियाजिस कारण इलाके में इनकी "साखको धक्का पहुँचा। येदियुरप्पा ने बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ धन एकत्रित करने के लिये पदयात्रा का ऐलान किया तो ये बन्धु उसमें भी टाँग अड़ाने पहुँच गये और घोषणा कर दी कि वे अपने खर्चे पर गरीबों को 500 करोड़ के मकान बनवाकर देंगे। सुषमा स्वराज को इनके पक्ष में खड़ा होना ही पड़ेगा क्योंकि वे इनके "अहसानोंतले दबी हैंउधर अनंतकुमार भी अपनी गोटियाँ फ़िट करने की जुगाड़ में लग गये हैं।

 

आंध्र प्रदेश पर प्रभाव 

ये दोनों रेड्डी बन्धु आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस. राजशेखर रेड्डी के गहरे मित्र हैं, इसलिये नहीं कि दोनों रेड्डी हैं, बल्कि इसलिये कि दोनों ही खदान माफ़िया हैं। राजशेखर रेड्डी ने इन दोनों भाईयों को 10 ,675 एकड़ की ज़मीन लगभग मुफ़्त में दी है ताकि वे इस पर इस्पात का कारखाना लगा सकें साथ ही वे यहाँ पर दूसरे हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 3500 एकड़ जमीन भी अलग से दी गयी...इस्पात कारखाने में राजशेखर रेड्डी का बेटा जगनमोहन रेड्डी भी भागीदार है। आज भी जगन मोहन रेड्डी की कई कंपनियों में इनका ही धन लगा हुवा है.. हालाँकि राजशेखर रेड्डी के हवाई हादसे में मौत और वाईएसआर रेड्डी के पुत्र जगनमोहन रेड्डी से नजदीकियां कर्नाटक के पर्यटन मंत्री को इन दिनों थोड़ी भारी जरुर पडगई हैं। एक साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री केरोसैय्या ने जनार्दन रेड्डी के खिलाफ राज्य में लौह अयस्कों की खदानों में हुई भारी अनियमितताओं के मामले में ओबुलापुरम खनिज निगम को उनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दे दिए..  आंा्र प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ वन अधिकारियों के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एक जांच कमेटी भी बनाई हैजो वन नियमों के उल्लंघन के मामले में जनार्दन रेड्डी के खिलाफ जांच कर रही है.  वैसे सूत्रों के  अनुसार यह सब कवायद रोसैय्या ने जगनमोहन कैंम्प को काबू में रखने के लिहाज से रणनीतिक रूप से तैयार की है। जगनमोहन और जनार्दन रेड्डी की नजदीकियां वाईएसआर के समय से ही हैं। पहले वाईएस आर ने आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए जनार्दन रेड्डी को काफी मदद की थी। दोनों के बीच अब व्यवसायिक रिश्ते भी बने हैं। जगन को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाने की मुहिम में जनार्दन रेड्डी ने भी उनकी खासी मदद की थी।  

 

आरोप :  

दोनों भाईयों पर कई बार पुलिस में शिकायत दर्ज कराये गए हैं.. 8 बार गैर जमानती वारंट भी जारी हुवे लेकिन कोई भी इनका बाल भी बांका नहीं कर सका.. यह शिकायत और किसी ने नहीं बल्कि बेल्लारी में इनकी ही कंपनी के पास बही इनकी एक प्रतिद्द्वंद्वी कंपनी के  तप्पाल नारायण रेड्डी ने वर्ष 2006 में रेड्डी तथा कुछ अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि वे कर्नाटक सीमा पर वितलापुरा, टुम्टी तथा आंध्रप्रदेश के साथ लगती मालापुरागुडी सीमा रेखा को नष्ट कर रहे हैं। साथ ही अनुचित तरीके से लोह अयस्को का निर्यात कर रहे हैं. इनके खिलाफ सी बी आई जाँच भी हवी.. लेकिन प्रभाव इतना की मामले पर अब तक कोई बड कारवाही नहीं हो सकी... 

 

 

 

2 comments:

bhagat said...

बहुत अच्छा लिखा है. खोज्परख लेख.

srivatsan said...

thanks sir ji