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Monday, May 27, 2019
बिग ब्रदर्स की भूमिका में KCR ,बड़ा सवाल क्या जगन रेड्डी के साथ दोनों राज्यों के विकास का जिम्मा लेंगे!
बिग ब्रदर्स की भूमिका में KCR ,जगन रेड्डी के साथ दोनों राज्यों के विकास का जिम्मा लेंगे!
संयुक्त आंध्र प्रदेश के बटवारे के करीब 5 साल बाद अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच चल रहा मनमुटाव ख़त्म होने के आसार बन रहे हैं. इसका बड़ा कारन है आंध्र प्रदेश के होने वाले मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव के बीच हुवी मुलाकात . जब से आंध्र प्रदेश का विभाजन हुवा है ,इन दोनों राज्यों के नेताओं का मिलना और बातचीत करना तो दूर, उलटा एक दुसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करते थे, ऐसे में जगन रेड्डी का शपथ ग्रहण से पहले ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR से उनके घर पर जाकर मुलाकात करने को दक्षिण के इन दोनों राज्य की राजनीती में एक बड़ा और सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है. इस दौरान जहाँ आंध्र प्रदेश के विकास के लिए जगन रेड्डी ने KCR से उनके सहयोग की मांग कर एक ऐसी राजनितिक परम्परा की शुरुवात कर दी, जिसकी दरकार दोनों ही राज्यों को विकास के नजरिये से सबसे जरुरी है. हालाँकि यह बात अलग है की अलग तेलंगाना राज्य को बनाने को लेकर जगन रेड्डी के पिता स्व. राजशेखर रेड्डी और TRS नेताओ के बीच हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है लेकिन पुरानी बातों को भूल कर जगन का KCR से मिलना और अपनी सरकार के लिए सहयोग मांगना इन दोनों ही राज्यों की जनता के बीच खासा सुर्खियाँ बटौरे हुवे हैं. वह भी उस समय जब तेलंगाना भयंकर सूखे की चपेट हैं, और आंध्र प्रदेश से उसे पानी की दरकार है, और आंध्र प्रदेश को केंद्र से वादे के अनुसार अपना बकाया "स्पेशल स्टेटस" लेने के लिए किसी सहयोगी दल के समर्थन की.
दरअसल 2 जून 2014 को तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करके 29 वां राज्य बनाया गया था. तेलगाना में चंद्रशेखर राव की सरकार बनी तो आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की,.. दोनों ने ही अपने- अपने राज्य को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का जोर शोर से दावा किया, लेकिन दोनों के बीच मनमुटाव एसा की हर दुसरे दिन किसी ना किसी मुद्दे को लेकर ये आपस में ही इस कदर उलझते नज़र आये की विकास की दौड़ में पिछड़ गए. इन दोनों सरकार के बीच का तनाव ना केवल इन दोनों राज्य की सीमा के भीतर बल्कि संसद की कारवाही के दौरान भी देखने को मिला. नतीजा संयुक्त आंध्र प्रदेश के बटवारे के बाद भी दोनों ही राज्य की जनता को उम्मीदों के अनुसार होने वाला विकास नसीब नहीं हो सका. पिछड़ने का यह कारन भी सबके सामने था, लेकिन चंद्रबाबू नायडू और चंद्रशेखर राव के बीच एक दुसरे को नीचा दिखाने की एसी अघोषित होड़ मची थी की ब्युक्रेट्स और जनता के अपनी- अपनी सरकारों को पूरा सहयोग देने के बाद भी इनके बीच का मनमुटाव कम नहीं हुवा, दोनों ही राज्यों को स्पेशल स्टेटस मिलने में ये दोनों नेता ही रोड़ा बनकर एक दुसरे के सामने खड़े नज़र आये. केंद्र की मजबूरी एसी की दोनों में से किसी एक को थोडी अधिक वित्तीय सहयोग मिलता, तो दूसरा उसके खिलाफ बगावत का मोर्चा खोलकर खडा हो जाता. जबकि वहीँ जगन मोहन रेड्डी और उनकी पार्टी के जन प्रतिनिधि इन सब बातों से दूर आंध्र को "स्पेशल स्टेटस" दिलाने के एकमात्र एजेंडे के साथ अपना पद छोड़ने को भी तैयार रहते. ठीक उसी तरह जैसा की कभी चंद्रशेखर राव अलग तेलंगाना राज्य बनाने के लिए दबाव के तहत बार- बार इस्तीफा देने से भी नहीं पीछे हटे.
मैं जगन रेड्डी और चंद्रशेखर राव की मुलाकात को इसलिए भी आने वाले दिनों के लिए सकारात्मक कदम के रूप में देख रहा हूँ ,क्यों की YSR कांग्रेस के लोकसभा में आंध्र को स्पेशल स्टेटस देने की जब मांग उठाई थी तब TRS ने उसका समर्थन भी किया था, चंद्रबाबू नायडू के साथ भी यह हो सकता था लेकिन नायडू को तो मानों KCR के नाम की तरह उसका सहयोग भी मंजूर नहीं था. शायद यही कारन था की चंद्रबाबू नायडू और KCR दोनों ने ही बड़ी ही उम्मीदों के साथ लोकसभा चुनावों से पहले वैकल्पिक मोर्चा बनाने की कोशिश की, लेकिन इससे एक दुसरे को दूर ही रखा. और अब पीएम मोदी के बहुमत के साथ जितने पर दोनों की ही उम्मीदों और कोशिशों पर मानों पानी ही फिर गया.
यह भी सच है की भले ही अब तक चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हैदराबाद और तेलंगाना में फिर से राजनितिक जमीन तलाशने को लेकर उनका मोह ख़त्म नहीं हुवा है, ऊपर से राजनितिक अनुभव का ऐसा घमंड की किसी को अपने आगे कुछ समझना ही छोड़ दिया, शायद इसी वजह से TRS से उनकी कभी नहीं बनी. जबकि इसके उलट आंध्र प्रदेश में TRS का नाम लेवा नहीं है, और जगन रेड्डी तेलंगाना में पार्टी के विस्तार की बजाय आंध्र प्रदेश तक ही अपनी राजनीती सीमित रखना चाहते हैं, ऐसे में KCR को भी लगने लगा है की दो अलग- अलग राज्यों के प्रभुत्व रखने वाली पार्टियों के एक साथ मजबूत साथी के रूप में साथ आना दोनों ही राज्यों के तेजी से विकास के मददगार कदम साबित होगा. .
वैसे कहा जा रहा है की जगन मोहन रेड्डी से मुलाकात के बाद कभी आंध्र प्रदेश के लोगों को गालियाँ देते नहीं थकने वाले तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR ने भी दोनों राज्यों के बीच "बिग ब्रदर्स" की भूमिका निभाने का मन बनाते हुवे आगे बढ़ने का फैसला किया है. ऐसे में आश्चर्य नहीं होगा अकी अपने तेलागना राज्य के साथ यदि वे अपने पडौसी राज्य आंध्र प्रदेश के लिए भी वे केंद्र सरकार से जोरदार वकालात करते नज़र आये. यदि एसा होता है तो इसमें कोई शक नहीं की दोनों ही राज्य विकास के नए आयामों को छू पायेंगे . जो की इन दोनों ही राज्यों की जनता के लिहाज़ से वक़्त की सबसे बड़ी जरुरत भी है.
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